Rakshabandhan 2023: रक्षाबंधन की पौराणिक कथा (भगवान श्रीकृष्ण और द्रौपदी की कहानी)
रक्षाबंधन की पौराणिक कथा
Rakshabandhan 2023:- भगवान श्रीकृष्ण का वचन और उनके कर्म ने द्रौपदी की इज्जत और गरिमा को बचाया था। इसी प्रकार, श्रावण पूर्णिमा के दिन द्रौपदी ने श्रीकृष्ण को रक्षा सूत्र (राखी) बाँधकर उनसे संकल्प लिया कि वह हमेशा उसके सहायक और संरक्षक बने रहेंगे। यह घटना बाद में रक्षाबंधन के रूप में प्रस्तुत हो गई, जिसमें बहन अपने भाई की सुरक्षा के लिए राखी बाँधती हैं और भाई बहन को उपहार देते हैं। इस तरीके से रक्षाबंधन हर साल बहन-भाई के प्यार और समर्थन का प्रतीक बनता है।
भगवान श्रीकृष्ण और द्रौपदी की कहानी
यह कथा हिन्दू पुराणों में से भगवान श्रीकृष्ण और द्रौपदी की कहानी महाभारत के पर्व “द्युतक्रीड़ा” से जुड़ी है। भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत काल में शिशुपाल का वध किया था। श्रीकृष्ण की सुदर्शन चक्र से उंगली कट गई। श्री कृष्ण की अंगुली मे से रक्त बहने लगा। तब द्रौपदी ने अपने साड़ी का पल्लू लेकर श्री कृष्ण की उंगली पर बाँधा। उस समय श्री कृष्ण ने द्रौपदी को वचन दिया और कहा कि इस वस्त्र के 1- 1 धागे का कर्ज चुकाऊंगा।
महाभारत काल में, राजा युधिष्ठिर के प्रतिद्वंद्वी (competitor) दुर्योधन और उसके बंधुओं ने कौरव-पाण्डवों के बीच द्युतक्रीड़ा आयोजित की। यह खेल कानूनों के अनुसार खेलना चाहते थे, लेकिन इसका परिणाम विचारशील और बुद्धिमान युधिष्ठिर के हाथ में खो गया। उन्हें बहुत सी संपत्तियाँ और अपने परिवार के सभी सदस्यों को हार दिया ।
Rakshabandhan 2023: रक्षाबंधन की पौराणिक कथा (भगवान श्रीकृष्ण और द्रौपदी की कहानी)
द्युतक्रीड़ा (Dyutkrida)के दौरान द्रौपदी का दिल विचलित था, क्योंकि वह जानती थी कि दुर्योधन और उसके बंधुओं का उद्देश्य था कि वे उसे अपमानित करें और उसका घृणित चीर हरण करें।
इस संकट में, द्रौपदी ने भगवान श्रीकृष्ण की ओर मुख मोड़कर उनसे मदद की उम्मीद की। श्रीकृष्ण ने उसकी पुकार सुनी और वे द्रौपदी के पास गए और उन्होंने उसे संबोधित करके कहा कि वे हमेशा उसके सहायक और संरक्षक बने रहेंगे।
द्युतक्रीड़ा के समय कौरवों ने द्रौपदी का चीर हरण करने का प्रयास किया तब श्री कृष्ण ने अपना कर्ज चुकाया और वचन निभाया और द्रौपदी की लाज बचा ली। जिस दिन द्रौपदी ने श्री कृष्ण को उंगली में पल्लू बाँधा, उस दिन श्रावण पूर्णिमा का दिन था और वह दिन आज हम सब रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) के रूप में मनाते हैं।
यह कथा एक महत्वपूर्ण संदेश प्रस्तुत करती है कि सबसे प्यारे और प्रिय रिश्तों में भी सूरक्षा, सहायता और समर्थन का महत्व होता है। इसके अलावा, यह कथा धर्म, न्याय और इंसानियत के मूल मूल्यों की महत्वपूर्णता को भी प्रकट करती है।
Rakshabandhan 2023: रक्षाबंधन की पौराणिक कथा (भगवान श्रीकृष्ण और द्रौपदी की कहानी)
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