कुछ कठिन फैसलों के पीछे की कहानी ।। Story In Hindi
कुछ कठिन फैसलों के पीछे की कहानी
दोस्तों, इस संसार में कईयों सही – गलत बातें हैं लेकिन उसके अतिरिक्त भी कई जटिलतायें/Complications हैं, जिन्हें समझना आसान नहीं. इसीलिए ऊपरी सतह से देखकर बिना गहराई को जाने-समझे हर परिस्थिति का एकदम सही आकलन नहीं किया जा सकता। पेश है ऐसी ही एक कहानी-
एक प्रोफेसर अपनी क्लास में कहानी सुना रहे थे, कहानी इस प्रकार थीं–
एक बार समुद्र के बीच में एक बड़े जहाज पर बड़ी दुर्घटना हो गयी. कप्तान ने शिप खाली करने का आदेश दिया. जहाज पर एक युवा दम्पति थे. जब लाइफबोट/Lifeboat पर चढ़ने का उनका नम्बर आया, तो देखा गया नाव पर केवल एक व्यक्ति के लिए ही जगह है. इस मौके पर आदमी ने औरत को धक्का दिया और नाव पर कूद गया ।
डूबते हुए जहाज पर खड़ी औरत ने जाते हुए अपने पति से चिल्लाकर एक वाक्य कहा-
अब प्रोफेसर ने रुककर स्टूडेंट्स से पूछा – तुम लोगों को क्या लगता है, उस स्त्री ने अपने पति से क्या कहा होगा ?
ज्यादातर विद्यार्थी/students फ़ौरन चिल्लाये – स्त्री ने कहा – मैं तुमसे नफरत करती हूँ ! I hate you !
प्रोफेसर ने देखा एक स्टूडेंट एकदम शांत बैठा हुआ था, प्रोफेसर ने उससे पूछा कि तुम बताओ तुम्हे क्या लगता है ?
वो लड़का बोला – मुझे लगता है, औरत ने कहा होगा – हमारे बच्चे का ख्याल रखना ।
कुछ कठिन फैसलों के पीछे की कहानी ।। Story In Hindi
प्रोफेसर को आश्चर्य हुआ, उन्होंने लडके से पूछा – “क्या तुमने यह कहानी पहले सुन रखी थी”?
लड़का बोला- जी नहीं, लेकिन यही बात बीमारी से मरती हुई मेरी माँ ने मेरे पिता से कही थी।
प्रोफेसर ने दुख पूर्वक कहा – तुम्हारा उत्तर सही है !

प्रोफेसर ने कहानी आगे बढ़ाई – जहाज डूब गया, स्त्री मर गयी, पति किनारे पहुंचा और उसने अपना बाकि जीवन अपनी एकमात्र पुत्री के समुचित लालन-पालन में लगा दिया. कई सालों बाद जब वो व्यक्ति मर गया तो एक दिन सफाई करते हुए उसकी लड़की को अपने पिता की एक डायरी मिली।
कुछ कठिन फैसलों के पीछे की कहानी ।। Story In Hindi
डायरी से उसे पता चला कि जिस समय उसके माता-पिता उस जहाज पर सफर कर रहे थे तो उसकी माँ एक जानलेवा बीमारी से ग्रस्त थी और उनके जीवन के कुछ दिन ही शेष थे।
ऐसे कठिन मौके पर उसके पिता ने एक कड़ा निर्णय लिया और लाइफबोट पर कूद गया. उसके पिता ने डायरी में लिखा था – तुम्हारे बिना मेरे जीवन को कोई मतलब नहीं, मैं तो तुम्हारे साथ ही समंदर में समा जाना चाहता था. लेकिन अपनी संतान का ख्याल आने पर मुझे तुमको अकेले छोड़कर जाना पड़ा।
जब प्रोफेसर ने कहानी समाप्त की तो, पूरी क्लास में शांति थी।
Moral of this story:
हर किसी के जीवन में हमेशा एक समय या एक क्षण होता है जहां उन्हें कुछ निर्णय लेने की आवश्यकता होती है, न कि केवल अपने लिए परन्तु अपने या अपने प्रियजनों की बेहतरी के लिए भी। संभवतः आप इस स्थिति में भी किसी को देख चुके हैं या रह चुके हैं। और हो सकता है कि उनके निर्णय ने आपको अचंभित कर दिया हो या आपको विचारों में छोड़ दिया हो। और उस क्षण पर आपने अपना मन बना लिया होगा या इस तरह का निर्णय लेने के लिए उस व्यक्ति के लिए कुछ सोचा होगा क्योंकि आपको लगा कि यह कुछ ऐसा है जो नहीं किया जाना चाहिए। आप निर्णय लेने वाले थे, सच्चाई जानने से पहले, कारणों और परिस्थितियों के बारे में जानने से पहले कि वह व्यक्ति उस निर्णय को लेने के लिए किन परिस्थितियों से गुजर रहा है। हर फैसले की अपनी कहानी होती है। हर निर्णय निर्माता के अपने कारण होते हैं। और हर परिस्थिति में कुछ कठिन निर्णय लेने की जरूरत होती है, न कि केवल उस क्षण के लिए बल्कि जीवन के लिए, उसे अपना होने दें या किसी और का। इसलिए अगली बार जब आप किसी के फैसले के लिए अपना निर्णय लें, तो सोच समझकर।
कुछ कठिन फैसलों के पीछे की कहानी ।। Story In Hindi
There’s always a time or a moment in everyone’s life where we need to take some decisions just not for the sake of the moment but for the betterment of yourself or your near and dear ones. Probably you’ve also been or seen someone in this situation too. And their decision might have amused you or may have left you stunned. And at that point you might have made up your mind or must have thought something for that person for making such decision because you felt that this is is something that shouldn’t be done. You were judgmental, before knowing the truth, before knowing the reasons and the circumstances that person has been or is going through to take that decision. Every decision has its own story. Every decision maker have their own Reasons. And every situation needs some tough decision to be taken, not just for that moment but for the life, let it be yours or someone else’s. So next time you make your judgments for someone’s decisions, think thrice.
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