Moral Stories in Hindi 2024 | नैतिक कहानियां हिंदी में

नैतिक कहानियां हिंदी में

Moral Stories in Hindi:- ये कहानियाँ बच्चों को नैतिक मूल्यों की महत्वपूर्ण शिक्षा देती हैं और उन्हें अच्छा आदर्श प्रदान करती हैं।हमें सीख मिलती है कि जीवन में सही मार्ग पर चलने का महत्व क्या होता है। इन कहानियों के माध्यम से, हम अपनी जीवन में सजीव नैतिकता और मानवता के मूल्यों को समझते हैं। ईमानदारी और मेहनत हमें हमेशा सफलता की ओर ले जाती हैं, चाहे हालात कुछ भी हों। कहानियां हमें मनोरंजन के साथ-साथ जीवन के मूल्यों और सिखने के लिए भी महत्वपूर्ण संदेश प्रदान करती हैं। इन्हें सुनकर और पढ़कर हम अधिक समझदार बनते हैं और अपने जीवन में सफलता पाने के लिए उपयोगी ज्ञान प्राप्त करते हैं।

प्यासे कौए की कहानी: Motivation Story in Hindi

प्यासे कौए की कहानी

गर्मी के मौसम में, एक कौवे को बहुत तेज प्यास लगी। वह आकाश में उड़ते-उड़ते बेहद थका चुका था और दूर-दूर तक कोई भी पानी की ख़बर नहीं थी।
आख़िरकार, वह एक गाँव के पास पहुँचा, जहाँ एक घर के आंगन में एक बड़ा सा घड़ा पड़ा था। और वहाँ पर कोई आदमी नहीं था, लेकिन घड़े में थोड़ा सा पानी था। कौवा ने घड़े के पास जाकर देखा, लेकिन घड़े का मुंह बहुत छोटा था और पानी तक पहुँचने में असमर्थ था। कौवे ने बहुत कोशिश की, लेकिन पानी तक उसकी चोंच नही पहुँच पा रही थी।

कौवा बहुत ही समझदार था और उसने एक चाल चली। इस समस्या का समाधान ढूंढ़ने के लिए वह आस-पास के कंकड़-पत्थरों को अपनी चोंच में पकड़ कर उन्हें घड़े में डालने लगा। धीरे-धीरे, वह कंकड़-पत्थरों से घड़े को भर दिया, और पानी ऊपर आ गया।

इस तरह से, कौवा ने अपनी प्यास बुझाई और जीवन की समस्या का समाधान ढूंढ लिया। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि समस्याओं का समाधान ढूंढने के लिए हमें सही दिशा में कदम रखना और क्रियाशीलता से काम करना चाहिए, चाहे समस्या कितनी भी कठिन क्यों ना हो।

Moral of the Story

इस कहानी का मोरल है कि समस्याओं का समाधान ढूंढने के लिए हमें सही समय पर सही तरीके से क्रियाशील होना चाहिए। कभी-कभी, हमारी समस्याएँ कितनी भी बड़ी क्यों ना हों, हमारी समझदारी और उत्कृष्ट योजना से हम उन्हें हल कर सकते हैं।


लोमड़ी और कौआ :Moral Stories in Hindi

लोमड़ी और कौआ

यह कहानी है एक लोमड़ी की, जो बहुत भूखी थी। वह भोजन की तलाश में इधर-उधर भटक रही थी, लेकिन खाने को कुछ नहीं मिल रहा था। अपनी भूख को मिटाने के लिए, वह एक बगीचे में पहुंच गई, जहां एक पेड़ पर एक कौआ बैठा था। कौआ के चोंच में पनीर का टुकड़ा था।

लोमड़ी बहुत चालाक थी और वह कौवे की तारीफ करने लगी। उसने कहा, “कौवा भैया, आप बहुत सुंदर और आकर्षक दिखते हैं। आपकी आवाज़ भी बहुत मनमोहक है। क्या आप मुझे एक गाना गाकर सुना सकते हैं?”

कौआ खुश हो गया और अपनी तारीफ सुनकर गर्मी में थोड़ी सी बढ़ गया। वह अपनी चोंच खोलकर गाने के लिए तैयार हुआ। इसी बीच, पनीर का टुकड़ा चोंच से नीचे गिर गया। लोमड़ी ने तुरंत ही वह पनीर चुराकर खा लिया और वहां से तेज़ी से भाग गई।

Moral of the Story

इस कहानी का मोरल है कि हमें दूसरों की तारीफ करने की बजाय सच्चाई में विश्वास करना चाहिए और हमें चालाकी या धोखाधड़ी से किसी को ठगने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। इसके बजाय, हमें ईमानदारी से काम करना चाहिए और दूसरों के साथ सही तरीके से व्यवहार करना चाहिए।


लकड़हारा और सुनहरी कुल्हाड़ी की कहानी: Moral Stories in Hindi in Short

लकड़हारा और सुनहरी कुल्हाड़ी

एक बार की बात है। एक गांव में एक लकड़हारा रहता था। वह रोज जंगल में जाता था, लकड़ी काटता और शहर में जाकर बेच देता। जो कुछ भी उससे मिलता उससे वह अपना घर चलाता और इसी तरह से उसका गुजारा चलता।

एक दिन लकड़हारा नदी के पास एक पेड़ पर चढ़कर लकड़ी काट रहा था और अचानक से कुल्हाड़ी हाथ से छूट गई और कुल्हाड़ी नदी में जाकर गिर गई। वह नीचे उतरा और नदी से कुल्हाड़ी को निकालने की कोशिश करने लगा, लेकिन कुल्हाड़ी उसके हाथ नहीं लगी क्योंकि नदी काफी गहरी थी और पानी का बहाव भी बहुत ज्यादा था।

कुछ देर बाद थककर वह नदी के पास बैठ गया और रोने लगा क्योंकि उसके पास नई कुल्हाड़ी खरीदने जितने रुपए नहीं थे। लकड़हारे को रोता हुआ देख वहां पर एक महात्मा गुजर रहे थे, वह रुक गए और उन्होंने पूछा कि- “बेटा क्या हुआ तुम इतने उदास क्यों बैठे हो? और लकड़हारे ने सारी बात उन महात्मा को बता दी।

वह महात्मा बोले- “तुम चिंता मत करो मैं तुम्हारी कुल्हाड़ी ढूंढ कर लाता हूं और उन्होंने नदी में डुबकी लगाई और एक सुनहरी सोने की कुल्हाड़ी बाहर लेकर आए और बोले- “लो बेटा तुम्हारी कुल्हाड़ी।” लकड़हारे ने उस कुल्हाड़ी को देखकर बोला- “महात्मा जी यह कुल्हाड़ी मेरी नहीं है।”
यह तो किसी धनवान व्यक्ति की लगती है। यह सुनकर महात्मा जी ने फिर से नदी में डुबकी लगाई और एक चमकीली चांदी की कुल्हाड़ी लेकर बाहर निकले और फिर से उन्होंने कहा लो बेटा तुम्हारी कुल्हाड़ी। उस कुल्हाड़ी को देखकर लकड़हारे ने फिर से बोला- “महात्मा जी यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है।

मैं गरीब लकड़हारा हूं। मेरी तो पुरानी लोहे की कुल्हाड़ी है। महात्मा जी फिर से नदी में डुबकी लगाई और इस बार लोहे की कुल्हाड़ी लेकर प्रकट हुए और बोले- “बेटा यह लो तुम्हारी कुल्हाड़ी।लकड़हारा अपनी कुल्हाड़ी को देखकर काफी खुश हो गया और बोला- महात्मा जी यही है मेरी कुल्हाड़ी और आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। इससे महात्मा जी खुश हो गए और उसको लोहे की कुल्हाड़ी के साथ दो अन्य मूल्यवान कुल्हाड़ी भी भेंट कर दी और बोला- “बेटा यह तुम्हारी ईमानदारी का फल है। ”

Moral of the Story

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि धन और संपत्ति केवल अधिकतम मूल्य नहीं रखते, बल्कि हमारे नैतिक मूल्यों और ईमानदारी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हमें अपनी ईमानदारी को बरकरार रखने का संकल्प करना चाहिए, चाहे हालात कुछ भी हों। ईमानदारी हमारे अच्छे कार्यों और समाज में सही मार्ग पर चलने में मदद करती है और हमें अपने कर्मों का गर्व करने का संदेश देती है।


सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की कहानी : Good Short Moral Stories in Hindi

सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की कहानी

एक गाँव में एक बहुत गरीब आदमी रहता था। वह बड़ी मुश्किल से अपने परिवार का पालन पोषण कर पाता था। एक दिन उसके आँगन में सुनहरी मुर्गी कहीं से उड़ती हुई आई और बैठ गई। वह मुर्गी को देखकर बहुत खुश हुआ और उसे खाने के लिए थोड़ा सा दाना डाल दिया। वह मुर्गी अब उसी के घर में रहने लगी।

अगले दिन मुर्गी ने सुनहरे रंग का अंडा दिया। वह अंडा सोने का था, जिसे देखकर वह आदमी बहुत प्रसन्न हुआ और उसे लेकर शहर में बेच दिया। और जो पैसे मिले, उससे वह अपने परिवार का पालन पोषण करने लगा। इसी प्रकार से हर रोज़ वह सुनहरी मुर्गी एक सोने का अंडा देती थी। और उसे बेचकर वह गरीब आदमी बहुत अमीर हो गया। अब उसके मन में लालच बढ़ गया, उसने सोचा कि जब यह हर दिन एक अंडा देती है तो इसका मतलब इसके पेट में कई सारे सोने के अंडे होंगे। क्यों ना मैं इस सुनहरी मुर्गी को काटकर इसके पेट से सारे सोने के अंडे एक साथ ही निकाल लूँ। पर उसने ऐसा ही किया, पर मुर्गी के पेट में एक भी सोने का अंडा नहीं था। और अब सुनहरी मुर्गी मर चुकी थी। और वह आदमी अपने लालच की वजह से सोने की अंडा देने वाली मुर्गी को खो दिया।

100+ Moral Stories in Hindi | नैतिक कहानियां हिंदी में

Moral of the Story

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि गरीबी में भी संतोष और खुशियाँ हो सकती हैं, जब हम ईमानदारी से काम करते हैं और अपने संबंधों को महत्व देते हैं। लालच और दुश्मनी हमारे जीवन को बर्बाद कर सकते हैं, जबकि ईमानदारी और सहयोग समृद्धि और सुख का स्रोत हो सकते हैं।


लालची शेर की कहानी: Short Stories in Hindi for Kids

लालची शेर की कहानी

एक जंगल में एक लालची शेर रहता था एक दिन उसे बहुत भूख लग रही थी इसलिए वह जंगल की तरफ निकल गया शिकार के लिए थोड़ी दूर जाते ही उसे एक छोटा सा खरगोश दिखा उसने सोचा भूख तो बहुत तेज लगी है यह खरगोश तो काफी छोटा है इससे भूख नहीं मिटेगी इसलिए वह आगे बढ़ गया कुछ दूर बाद उसे एक हिरण का बच्चा मिला वह भी काफी छोटा था जिसे देखकर उसे शेर ने फिर से वही सोचा कि इससे तो भूख नहीं मिटेगी और वह हिरण के बच्चे को छोड़कर आगे निकल गया बड़े शिकार की तलाश में ।

चलते-चलते काफी देर हो गई थी फिर से एक बड़ी सी बकरी मिली लेकिन बकरी शरीर में थोड़ी सी कमजोरी थी इसलिए शेर ने सोचा कि इसे खाने में कुछ मजा नहीं आएगा इसलिए वह बड़े शिकार की तलाश में और आगे निकल गया ।

इसी तरह करते-करते शाम हो गई और लालची शेर को शिकार के लिए कुछ नहीं मिला और वह भूखा हीरा इसीलिए वह खाली हाथी अपनी गुफा में वापस आ गया और लालच के कारण उसे भूखे पेट ही सो जाना पड़ा कहानी से हमें शिक्षा मिलती है की लालच का परिणाम अच्छा नहीं होता यह है खुद को ही नुकसान हो जाता है जिस तरीके से शहर को भूखे पेट ही सोना पड़ा इस तरह से हमें भी जीवन में दुखी होकर रहना पड़ता है हम सुखी जीवन का एहसास नहीं ले पाते हैं ।

Moral of the Story

लालच हमारे जीवन में अक्सर हमें गलत निर्णय लेने पर मजबूर कर सकता है। लालच से हम अपनी अपेक्षाओं को इतनी महत्व देते हैं कि हम आसपास के मौकों  को नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे हमारे लिए बेहतर निर्णय नहीं लिये जा सकते हैं।हमें अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संतुलित और विचारपूर्ण निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए, ताकि हम गलत रास्ते पर न चलें और अपने लक्ष्य को हासिल कर सकें।


दो मेंढ़कों की कहानी : Short Animal Stories in Hindi

दो मेंढ़कों की कहानी

एक बार की बात है, दो मेढ़क दोस्त सैर पर निकले। वे आपस में बात करते हुए बड़े ही उत्सुकता से चल रहे थे। रास्ते में एक बड़ा सा गड्ढा आया । एक मेढ़क दोस्त ने दूसरे मेंढ़क से कहा, “यह गड्ढा बहुत गहरा है, और कहा जाता है कि जो भी इसमें गिरता है, वह जिन्दा वापस नहीं आता। हमें सावधानी से  इसे पार करना चाहिए।”

लेकिन दूसरा मेढ़क बहुत ही साहसी था। उसने कहा, “मुझे इस गड्ढे से गुजरना है, चाहे कुछ भी हो। मैं इसका सामना करूँगा और इसे पार करूँगा।”

दूसरा मेढ़क चिंतित हो गया और वह वहीं बैठ गया, जबकि पहला मेढ़क धीरे-धीरे गड्ढे के किनारे की ओर बढ़ता गया। वह कुछ कठिनाइयों का सामना करता रहा, लेकिन अंत में उसने गड्ढे को पार किया। इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि डर और हार मानने की बजाय, हमें साहस और संघर्ष के साथ आगे बढ़ना चाहिए। जीवन में सफलता पाने के लिए हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए और हर कठिनाई का सामना करना चाहिए।

Moral of the Story

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हालात चाहे जैसे भी हों, हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए और कोशिश करनी चाहिए। जीवन में सफलता पाने के लिए हमें संघर्ष करना और निरंतर प्रयास करना चाहिए, चाहे हमारे सामने कितनी भी मुश्किलें क्यों ना हों।यदि हम निरंतर प्रयास करते रहें और किसी भी स्थिति में हार नहीं मानते, तो हम कभी भी मुश्किलों को पार कर सकते हैं और अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं।


लालच बुरी बला: Story in Hindi in Short

लालच बुरी बला

एक गांव में धनपाल नामक एक व्यापारी रहता था, जो खाद्य तेल का व्यापार करता था। वह शहर से तेल लाता और उसे गांव में बेच देता था।  जिससे उसका व्यापार दिनों-दिन बढ़ता चला गया। उसका मुनाफा भी बढ़ गया। एक दिन, धनपाल के मन में लालच का खयाल आया। उसने सोचा कि अब लोग उसके तेल को आसानी से खरीद लेते हैं, और शायद उससे अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। इसी चक्कर में, उसने तेल में मिलावट करना शुरू कर दिया।

अब वह शहर से तेल लाता और उसमें मिलावट करता, फिर पूरे गांव में बेच देता। कुछ दिन तक सब ठीक चल रहा था, लेकिन कुछ दिनों बाद, गांव के लोग बीमार होने लगे। देखते ही देखते, सभी गांव के लोग बीमार पड़ गए। इलाज के दौरान, डॉक्टर ने बताया कि आपके खाने पीने में मिलावट हो रही है, जिसके कारण आप सभी बीमार हो गए हैं।

गांव वालों ने बताया कि वे धनपाल नामक एक व्यापारी से तेल खरीदते हैं, और उसके तेल का स्वाद कुछ दिनों से खराब हो गया है। शायद उसमें कुछ मिलावट हो रही है। सभी गांव वालों ने इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने तुरंत ही धनपाल को पकड़ लिया और उसे जेल में बंद कर दिया।

Moral of the Story:-

इस कहानी से हमें यह भी सिखने को मिलता है कि नैतिकता को बरकरार रखने से हम न केवल खुद को बल्कि अपने समाज को भी सुरक्षित और स्वस्थ बना सकते हैं। धनपाल ने अपने व्यवसाय में लालच के कारण नैतिकता को त्याग दिया और तेल में मिलावट करने का निर्णय लिया। इसके परिणामस्वरूप, वह न केवल अपने ग्राहकों को धोखा दिया , बल्कि खुद के व्यवसाय को भी नुकसान हुआ। लालच हमें सबक सिखाता है कि नैतिकता और ईमानदारी कभी भी सफलता की राह में बाधा नहीं डालते हैं, जबकि लालच से बढ़कर कुछ नहीं होता।


झूठा लड़का और भेड़िया की कहानी : Short Moral Stories in Hindi For Class 6

झूठा लड़का और भेड़िया

बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव में एक लड़का रहता था। वह गाँव के पास ही जंगल में भेड़ चराने जाता था। रोज सुबह अपनी भेड़ों को लेकर जंगल में जाता और शाम को घर वापस आता। इसी तरह से वह रोज करता था, लेकिन वह थक चुका था क्योंकि उसे यह काम बोर लगने लगा था। एक दिन जब वह बोर हो रहा था, तो उसे एक नई तरीके की खिचड़ी बनाने का मन किया।
वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा, “बचाओ-बचाओ, भेड़िया आया, भेड़िया आया!”

यह सुनकर गाँव वाले अपनी लाठी और डंडों के साथ उसकी ओर दौड़ने लगे। परंतु जब वे पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि वह लड़का जोर-जोर से हंस रहा था। वह मजाक कर रहा था। गाँव वालों ने गुस्सा आया और उसे कहा कि उसे ऐसा मजाक नहीं करना चाहिए, और वे वापस चले गए।

फिर एक दिन वह लड़का फिर से चिल्लाने लगा, “बचाओ-बचाओ, भेड़िया आया, भेड़िया आया!”

इस बार भी गाँव वाले जंगल में दौड़ने लगे, लेकिन फिर से वे उसे हंसते हुए पाये। गाँव वालों ने उसे धमकाया कि वह झूठ बोलकर उन्हें परेशान कर रहा है और अब वे उसकी मदद करने नहीं आएंगे।

फिर एक दिन, वाकई ही एक भेड़िया आ गया। लड़का फिर से जोर-जोर से चिल्लाने लगा, “बचाओ-बचाओ, भेड़िया आया, भेड़िया आया!”

लड़के की आवाज सुनी और कहा कि इस लड़के का तो रोज का काम है, मजाक मस्ती करने का और किसी ने भी उसकी तरफ नहीं ध्यान दिया। शाम हो गई तो वह लड़का गांव की तरफ नहीं आया। तो सब गांव वाले जंगल की तरफ जाने लगे। उन्हें देखा कि वह लड़का एक मोटे से पेड़ के ऊपर बैठा है। उसको नीचे उतारा और पूछा तो लड़के ने सारी बात बताई और कहा कि सचमुच यहां पर एक जंगली भेड़िया आया था और एक-एक करके हमारी सब भेड़ों को खा गया।

इस पर एक समझदार आदमी ने कहा देखो बेटा तुम्हारी झूठ बोलने की और मजाक की आदत ने तुम्हारा ही नुकसान कर दिया और किसी ने भी तुम पर भरोसा नहीं किया। तुम्हारी आवाज सुनने के बाद भी कोई भी तुम्हें बचाने नहीं आए। लड़के को अपनी गलती का एहसास हो गया और उसने कहा कि अब मैं कभी झूठ नहीं बोलूंगा।

100+ Moral Stories in Hindi | नैतिक कहानियां हिंदी में

Moral of the Story

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें झूठ बोलने से बचना चाहिए, क्योंकि झूठ बोलने से हम खुद को और दूसरों को मुश्किल में डाल सकते हैं। सत्य हमारी आदत होनी चाहिए, और हमें हमेशा सच बोलने का प्रयास करना चाहिए। ईमानदारी की महत्वपूर्णता को समझना चाहिए। झूठ बोलने से हमारा और दूसरों का विश्वास टूट सकता है, और यह हमें परेशानियों में डाल सकता है।


शेर और चतुर खरगोश की कहानी: Moral story in Hindi

शेर और चतुर खरगोश की कहानी
शेर और चतुर खरगोश की कहानी

बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में कई सारे छोटे और बड़े जानवर रहते थे। इस जंगल में एक शेर भी निवास करता था, जो रोज़ाना अन्य जानवरों को मारकर खाता था। इसके कारण सभी जानवर उससे डरते थे और हमेशा सतर्क रहते थे कि कब उनकी बारी आ सकती है।

एक दिन, सभी जानवर एक सभा बुलाई और शेर के खिलाफ एक योजना बनाई। उन्होंने शेर के साथ सहमति पर पहुंचा कि हर दिन एक जानवर शेर के पास जाकर खुद को कुर्बानी देगा, ताकि बाकी सभी जानवर शेर से बच सकें। यह योजना शेर ने स्वीकार की, और कहाँ ठीक है। परन्तु एक दिन भी खाली नहीं जाना चाहिए। समय पर भोजन के लिए एक जानवर को भेजना होगा।

अब सभी जानवर एक-एक करके शेर के पास जाते है। एक दिन छोटे खरगोश की बारी आई। वह शेर के पास जाने लगा और सोचने लगा कि मरना ही है तो आराम से खा पी कर मरूं तो वह आराम से खाता-पीता चल रहा था। रास्ते में उसे एक कुआं दिखा। वह कुएं के पास गया तो उसे कुएं में खुद की परछाई देखी। जिसे देखकर वह खुश हो गया और उसे एक तरकीब सूझी और वह मजे से शाम तक शेर के पास गया। खरगोश को देखकर शेर को गुस्सा आया क्योंकि शेर सुबह से इंतज़ार कर रहा था और उसने कहा कि मेरे लिए इतना छोटा जानवर भेजा है। इससे मेरी क्या भूख मिटेगी। लगता है सभी जानवर मेरे साथ खेल खेल रहे हैं।

फिर शेर ने खरगोश से पूछा कि तुम्हें आने में इतनी देरी क्यों हुई? खरगोश ने बताया कि मैं जब रास्ते से आ रहा था तो मुझे एक दूसरा शेर मिल गया और मुझे खाने के लिए बोलने लगा. मैंने बताया कि शेर राजा मेरा इंतजार कर रहे हैं तो मुझे जाने दो। तब उसने कहा कि मैं तुम्हारे राजा से नहीं डरता और मैं बचकर भाग कर आया हूं। इतना सुनते ही शेर बोला मेरे इलाके में कौन सा दूसरा शेर आ गया। जो मुझसे नहीं डरता। तुम मुझे लेकर चलो।

खरगोश शेर को लेकर उस कुएं के पास पहुंच गया। शेर ने देखा कि कुएं में उसकी परछाई दिख रही है और जिसे उसने सचमुच एक दूसरा शेर समझ लिया और वह जोर से दहाड़ लगाता तो कुएं से उसकी आवाज टकराकर वापस आती और उसे लगा कि यह तो कोई दूसरा शेर है।

फिर क्या। शेर गुस्से में दहाड़ता हुआ कुएं में कूद पड़ा और वह कुएं से बाहर नहीं निकल पाया। इसके बाद खरगोश खुशी-खुशी अपने साथियों के साथ वापस जंगल में लौट गया और अब सभी जानवर खरगोश की चतुराई पर उसकी प्रशंसा करने लगे।

Moral of the Story

इस कहानी का सरल मोरल है कि चतुराई और समझदारी से हम समस्याओं का समाधान ढूंढ सकते हैं। हमें जब किसी समस्या का समाधान ढूंढना हो, तो हमें सही दिशा में विचार करना चाहिए और क्रियाशीलता से काम करना चाहिए, चाहे समस्या कितनी भी कठिन क्यों ना हो। इसके साथ ही, हमें दुश्मन की अच्छे और बुरे पहलुओं को समझने के लिए समय देना चाहिए, क्योंकि कई बार हमारे दुश्मन और दोस्त दोनों में भ्रांतियां हो सकती हैं। इसलिए हमें समस्याओं के समाधान के लिए समय लेना चाहिए और सही रास्ता चुनना चाहिए।


चींटी और कबूतर की कहानी – Hindi Story of Ant and Pigeon

चींटी और कबूतर

यह कहानी है एक गर्मी के दिनों की, जब एक छोटी सी चींटी को बहुत तेज प्यास लगी। वह नदी के किनारे गई, जो बहुत ही तेज धारा में बह रही थी। चींटी ने एक बड़े से पत्थर पर बैठकर पानी पीने का प्रयास किया, लेकिन उसका पांव फिसल गया और वह नदी में गिर गई। नदी की तेज धारा ने उसे बहा लिया। वह चिरकर मदद के लिए गुहार लगाने लगी।

इस समय, एक पेड़ पर बैठे हुए एक कबूतर ने इस सब को देखा। वह तुरंत एक पत्ता तोड़कर लाया और चींटी के सामने रख दिया। कबूतर ने चींटी से कहा, “चींटी बहन, तुम तुरंत इस पत्ते पर चढ़ जाओ, ताकि मैं तुम्हें उठा सकूँ और नदी के किनारे ले जा सकूँ।”

चींटी ने जल्दी से पत्ते पर चढ़ जाकर उसे पकड़ लिया। कबूतर ने उसे अपनी चोंच से उठाया और नदी के किनारे पर छोड़ दिया। चींटी ने कबूतर का आभार व्यक्त किया और कहा, “कबूतर भाई, आपकी मदद से मेरी जान बच गई। आपकी दोस्ती ने मुझे बड़ी समस्या से बचा लिया है। कभी भी आपकी मदद की आवश्यकता हो, तो आप मुझे बुला सकते हैं।”

अगले दिन, एक शिकारी आया और कबूतर को जाल में फंसाने की कोशिश की। कबूतर जाल में फंस गया।

चूहा आकर जाल काटकर कबूतर को छुड़ा दिया। इसके बाद, कबूतर ने चूहे को आभार व्यक्त किया और कहा, “चूहे भैया, आपकी मदद ने मेरी जान बचाई है। मैं हमेशा आपकी दोस्ती की प्रशंसा करूँगा।”

Moral of the Story

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें कभी भी किसी की छोटी सी मदद को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि वो मदद हमें कभी बड़ी समस्या से बचा सकती है। और हमें दोस्तों की मदद के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए, क्योंकि वे कभी भी हमारे समय पर आ सकते हैं।

From this story we learn that we should never ignore someone’s small help, because that help can sometimes save us from a big problem. And we should always be ready for the help of friends, because they can come to us at any time.


100+ Moral Stories in Hindi 2024 | नैतिक कहानियां हिंदी में

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