रक्षाबंधन की कहानी | Raksha Bandhan Story, Shubh Muhurat, Vidhi
Raksha Bandhan Story, Shubh Muhurat, Vidhi
रक्षाबंधन की कहानी;- रक्षाबंधन हिन्दू धर्म में मनाया जाने वाला एक प्रमुख पर्व है, जो भारत में वर्षा ऋतु के अंत में आता है। यह पर्व बहन और भाई के प्यार और बंधन की मिसाल माना जाता है। रक्षाबंधन का अर्थ होता है “रक्षा” यानी सुरक्षा और “बंधन” यानी बंधन या सम्बंध।रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) का उद्देश्य न केवल भाई-बहन के प्यार को मजबूती से प्रकट करना होता है, बल्कि इसका महत्व उन समाजिक मूल्यों और बंधनों को भी दिखाता है जो परिवार के सदस्यों को एक-दूसरे के प्रति जिम्मेदार और साथी बनाते हैं।
रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त:
रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) के त्योहार को श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाना अच्छा माना जाता है, लेकिन अगर आप विशेष शुभ मुहूर्त में इसे मनाना चाहते हैं तो निम्नलिखित मुहूर्त अच्छे रहेंगे:
- पूर्णिमा तिथि: 30 अगस्त 2023, रात्रि 09:03 से
- पूर्णिमा तिथि: 31 अगस्त 2023, सुबह 07:07 तक
रक्षाबंधन का महत्व:(Raksha Bandhan importance)
रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है और यह भाई-बहन के प्यार और संबंध का प्रतीक है। यह त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है और इसमें बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है जिससे भाई का दीर्घायु और उसकी सुरक्षा की कामना की जाती है। यह त्योहार निम्नलिखित कुछ महत्वपूर्ण कारणों से महत्वपूर्ण है:
1.सद्भावना और प्यार का प्रतीक
2.परिवार के बंधनों का मजबूत होना
3.भाई की सुरक्षा की कामना
4.धार्मिक महत्व
5.संबंधों की महत्वपूर्णता
6.सामाजिक एकता
रक्षाबंधन की कहानी: (Raksha Bandhan Story)
राजा बलि एक दानशील और महान राजा थे, लेकिन उनका अहंकार बढ़ रहा था। भगवान विष्णु ने यज्ञ द्वारा राजा बलि का अहंकार को तोड़ने का सोचा और वामन अवतार में पृथ्वी पर आए। भगवान विष्णु के इस अवतार में, वे एक छोटे बच्चे के रूप में प्रकट हुए जो वामन नामकरण से जाना जाता है।
राजा बलि ने यज्ञ का आयोजन किया और भगवान वामन ने वहाँ पहुँचकर तीन कदम जमीन मांगीं। राजा बलि ने अपने दानीकरण की भावना से भगवान को तीन कदम जमीन देने की प्रार्थना पूरी की। भगवान वामन ने उनकी इस भावना को प्रसन्नता से स्वीकार किया और तीन कदम जमीन में ही पूरी जमीन को नाप लिया।
राजा बलि ने खुशी-खुशी सब कुछ भगवान विष्णु को दे दिया। पर उन्होंने भगवान विष्णु से एक वरदान मांगा कहा कि- “मैं जब भी देखूं तो आपको ही देखूं , सोते जागते, हर पल आपको ही देखना चाहता हूं। भगवान विष्णु ने राजा बलि को यह वरदान दिया और राजा बलि पताल में ही रहने लगे।
भगवान विष्णु हर समय राजा बलि की नजर में रहते थे। जिससे लक्ष्मी जी चिंतित हो गए और जब नारद जी को लक्ष्मी जी ने अपनी चिंता बताई तब नारद जी ने लक्ष्मी जी को एक उपाय बताया ओर कहा कि- आप राजा बलि को अपना भाई बना लीजिए और भाई के रूप में भगवान विष्णु को मांग लीजिए। नारद जी की बात सुनकर लक्ष्मी जी राजा बलि के पास गई और वहां जाकर रोने लगी। तब राजा बलि ने उनसे रोने का कारण पूछा तब माता ने कहा कि मेरा कोई भाई नहीं है, इसलिए मैं रो रही हूं। राजा ने बात सुन कर कहा कि – आज से मैं आपका भाई हूं। तब माता लक्ष्मी ने समय देखकर राजा बलि को राखी बांधी और वरदान के रूप में भगवान विष्णु को मांग लिया। ऐसा कहा जाता है तभी से रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) का त्यौहार को पावन माना गया है।
इसी रूप में, रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) का त्योहार भी राजा बलि की इस दिव्य कथा को याद दिलाने का उद्देश्य रखता है, जिसमें बहनें अपने भाइयों की रक्षा करती हैं और भाइयाँ उन्हें आशीर्वाद देते हैं।