Lalach Ka Fal ।। लालच का फल Hindi Kahani

 लालच का फल

एक बार पक्षियों का राजा अपने समूह के साथ भोजन की तलाश में जंगल में गया । राजा ने पक्षियों को आदेश दिया,” जाओ और जाकर दाने और बीज ढूंढो, जिस को भी मिले वह बताना और सब मिलकर खाएंगे। सभी पक्षी दानो और बीच की तलाश में इधर- उधर निकल पड़े। उड़ते उड़ते एक चिड़िया उस सड़क पर आ गई जहां पर गाड़ियों से भरी अनाज की गाड़ियां जाती थी। उसमें सड़क पर अनाज देखा, उसने सोचा कि वह राजा को इस जगह के बारे में नहीं बताएगी। फिर उसके मन में आया कि किसी और पक्षी में इधर आकर यह अनाज देख लिया तो ,फिर से सोचा कि ठीक है मैं बता दूंगी पर यहां तक किसी को पहुंचने नहीं दूंगी।

Lalach Ka Fal ।। लालच का फल Hindi Kahani
वह राजा के पास जाती है वहां जाकर बताया कि यहां पास में एक बड़ा राजमार्ग है वहां पर अनाज के ढेरों दाने पड़े हैं लेकिन वहां पर गाड़ियों का बहुत खतरा है । तब राजा ने कहा वहां पर कोई भी नहीं जाएगा सभी पक्षियों ने राजा की बात मान ली और फिर से अनाज की तलाश में इधर-उधर उड़ गए।

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लेकिन वह चिड़िया चुपचाप अकेली ही राजमार्ग की तरफ उड़ गई और दाने चुगने लगी। अभी कुछ ही देर भी नहीं हुई थी कि उसने देखा कि एक गाड़ी तेजी से आ रही है चिड़िया ने सोचा गाड़ी तो अभी दूर है दो -चार दाने जब तक और चुन लेती हूं।

जो अपनों का साथ छोड़ता है, उसका कोई अपना नहीं बनता ।
जो अपनों का साथ छोड़ता है, उसका कोई अपना नहीं बनता ।

वो कुछ और सोचती उस से पहले देखते गाड़ी चिड़िया के ऊपर से गुजर गई और वो चिड़िया घायल हो गई । उधर शाम को राजा ने देखा कि वह चिड़िया नहीं आई है दूसरे सैनिकों को उसे ढूंढने का आदेश दिया। वे सब ढूंढते -ढूंढते राजमार्ग पर पहुंच गए वहां देखा कि चिड़िया तो मरी पड़ी है राजा ने कहा इसने हम सब को तो मना किया किंतु लालच वश वह अपने आप को नहीं रोक पाई और अपने प्राणों से हाथ धो बैठी।

Moral of this story:

इस कहानी लालच का फल से हमें यह सीख मिलती है अत्यधिक लाभ का फल कभी-कभी घातक हो सकता है। जब कभी आप एक ग्रुप में काम कर रहे हो तो केवल खुद का सोचना भी गलत है। जो व्यक्ति स्वार्थ और लोभ में फंसकर अपनों का साथ छोड़ता है, उसका कोई अपना नहीं बनता और अंत में उसे पछताना ही पड़ता है।

We learn from this story that the fruits of excessive profit can sometimes be fatal. Whenever you are working in a group, it is wrong to think only of yourself. A person who is trapped in selfishness and greed and abandons his loved ones, does not become his own and has to repent in the end.

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