वफादारी भी समझदारी से करो ।। Do loyalty wisely Story in Hindi

Story in Hindi: 

नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है आज की हमारी कहानी वफादारी पर है । वफादारी भी उसीसे निभायो जो उसके लायक हो। कभी-कभी हम किसी व्यक्ति के लिए वफादारी दिखा देते हैं पर जब जरूरत होती है तब वह व्यक्ति मुकर जाता है तो इसीलिए हमेशा किसी के लिए भी कुछ भी काम करो तो सोच समझ के ही करो।

एक समय की बात है बहुत बड़े साम्राज्य में एक शक्तिशाली राजा हुआ करता था,उस राजा के पास 10 जंगली कुत्ते थे। पर उस राजा की एक बहुत बुरी बात थी । बुरी बात ये थी कि अगर उस राजा के शासन में किसी भी व्यक्ति से कोई गलती हो जाती थी तो सजा सिर्फ एक थी। आदमी कुछ भी करें चाहे वह कोई भी हो, उनको 10 जंगली कुत्तों के सामने डाल दिया जाता था और वह कुत्ते उस इंसान को बहुत बुरी मौत देते थे। उस इंसान को इस तरीके से तड़पा-तड़पा कर मारते थे उसका मांस फाड़ देते थे कि उस इंसान को बहुत दर्दनाक मौत मिलती थी।
उस राज्य में सब के लिए गलती की एक ही सजा थी इसीलिए उस राज्य में हर व्यक्ति बहुत ही खौफ से रहता था ।

वफादारी भी समझदारी से करो ।। Do loyalty wisely Story in Hindi
अब होता क्या है एक बार उस राज्य के महामंत्री से एक भूल हो जाती है और वह भूल होती है हिसाब के अंदर। जब राजकोष की बात आती है उसमें हिसाब में गलती मिलती है । महामंत्री ने राजा से माफी भी मांगी और कहा मैं इतने सालों से आपके यहां काम कर रहा हूं अगर अब मुझसे एक गलती हो गई तो मुझे माफ कर दीजिए। पर राजा बोलता है कि आपको तो पता ही है महामंत्री, हमारे यहां गलती की सिर्फ एक ही सजा है । वह सजा आपको भी मिलेगी आप भी इस राज्य के व्यक्ति हैं तो आपको भी यही सजा मिलेगी । अगर मैंने आपको छोड़ दिया तो प्रजा के ऊपर बहुत गलत असर पड़ेगा इसीलिए मैं आपको नहीं छोड़ सकता।

Time tells the truth
Time tells the truth

अब महामंत्री मन ही मन सोचता है की सजा तो मुझे भी यही मिलने वाली है तो मंत्री राजा से बोलता है कि प्रभु मेरी एक आखरी इच्छा है। राजा बोलता है कि आखिरी इच्छा है तो बता दो । महामंत्री राजा को बोलता है आप मुझे बेशक यही सजा दे दीजिएगा मुझे भी बाकी गलती करने वाले व्यक्ति की तरह मुझे भी जंगली कुत्तों के सामने छोड़ देना, पर मुझे आप 15 दिन की मोहलत दे दीजिए आप मुझे जो भी सजा देना चाहते हैं वह 15 दिन के बाद दे दीजिएगा। मैं 15 दिन मैं कहीं पर भी बाहर नहीं जाऊंगा, मैं राज्य के अंदर सबकी देखरेख में ही रहूंगा। आप मुझे बस 15 दिन की मोहलत दे दीजिए।

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राजा कहता है तुम्हें मोहलत क्यों चाहिए। महामंत्री कहता है राजा मैं 15 दिन बहुत खुशी से जीना चाहता हूं अच्छा समय बिताना चाहता हूं , इसीलिए बस मैं 15 दिन और जिंदा रहना चाहता हूं। बस यही मेरी आखिरी इच्छा है। अब राजा ने कहा कि ठीक है तुम्हारी यह बात मैं स्वीकार करता हूं ठीक 15 दिन के बाद तुम्हें सजा दी जाएगी।
15 दिन के बाद उस महामंत्री को लाया जाता है ।
राजा खुद साथ चलता है कि महामंत्री को कुत्तों के सामने छोड़ दिया जाएगा । जो बेड़ा होता है जिसके अंदर कुत्तों के सामने महामंत्री को छोड़ना होता है वहां पर महामंत्री को छोड़ दिया जाता है। राजा ऊपर बैठा बैठा देखता है कि कुत्तों को छोड़ देने के बाद भी वह मंत्री को काट नहीं रहे हैं और ना ही कुत्ते भौंक रहे हैं बल्कि प्यार से उसे चाट रहे हैं उसे प्यार कर रहे है।

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Be with those who help your being
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राजा को समझ नहीं आता उसके जंगली कुत्ते किसी के साथ भी ऐसा नहीं करते यह महामंत्री से इतना लगाव क्यों कर रहे हैं। अब राजा एकदम हैरान हो जाता है नीचे मंत्री कहता है प्रभु मुझे पता है आप के दिमाग में क्या चल रहा है आप मुझे ऊपर बुलाए मैं आपको बताऊं कि क्या बात है अब राजा कहता है कि चलो ऊपर आओ । राजा दोबारा सभा बुलाता है और वहां पर महामंत्री को पेश करवाते हैं। राजा के सामने महामंत्री आकर खड़ा हो जाता है। मंत्री कहता है प्रभु मैं बताना चाहूंगा जो आपने मुझे 15 दिन की मोहलत दी थी उन 15 दिनों में मैंने इन कुत्तों की बहुत सेवा की इनकी एक अच्छा रिलेशन(relation) बनाया इनको नहलाया ,इनको खाना खिलाया इनके साथ रहा इनको अपने हाथों से खिलाया, इनके साथ खेलते कूदते हुए हमारी दोस्ती हो गई। अब यह कुत्ते मुझे नुकसान नहीं पहुंचाएंगे अब यह मुझसे प्यार करते हैं, मुझसे प्रेम करते हैं।

राजा कहता है पर मेरे वचन का क्या होगा ?

महामंत्री कहता,” आपका वचन था कि आप कुत्तों के सामने मुझे डालेंगे ,आपने मुझे कुत्तों के सामने डाला, उन्होंने कुछ किया नहीं वह अलग बात है ,पर आपका वजन तो पूरा हो गया। ”
राजा मुस्कुरा कर बोलता है,” अच्छा तुम्हें छोड़ दिया जाए इसका मतलब”।
तब महामंत्री कहता है ,”राजा मैं आपसे एक बात और कहना चाहता हूं उन कुत्तों की तो मैंने सिर्फ 15 दिन सेवा करी और उन कुत्तों का हृदय परिवर्तन हो गया और मैंने जो आपके साम्राज्य के लिए सालों की सेवा करी आपने उसे बिल्कुल अनदेखा कर दिया यह मुझे बहुत बुरा लगा है”। राजा को खुद की गलती पर बहुत पछतावा हुआ और राजा ने खुद को सजा देने के लिए राजकोष छोड़ दिया और सन्यासी बन गया।

वफादारी भी समझदारी से करो ।। Do loyalty wisely Story in Hindi

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