Mehanat ki kimat मेहनत की कीमत

 

Motivational story in Hindi:

आज मैं एक  Moral STORY लेकर आई हूं जो कि ज़िन्दगी में मुश्किलो से लड़ना सिखाएगी साथ ही साथ, मेहनत से कमाया हुआ पैसा हमारे जीवन में कितना मूल्यवान है , ये भी बताएगी। जीवन में कुछ भी पाने के लिए तपकर कड़ी मेहनत करनी पड़ती हैं तब जा कर आप हीरे से निखर के आते हों। अगर आपको अच्छी ज़िन्दगी जीनी है तो रोज भागना पड़ेगा । यह कहानी आपको जीवन में होने वाले आपकी जिम्मेदारी के बारे में सिखायेगी:-

आज की कहानी एक मिडिल क्लास (middle class) परिवार की है । उस परिवार में सुरी नाम का लगभग 18 साल का एक लड़का रहता था । इसके पिता जी हलवाई का काम करते थे। वह रोज अलग-अलग मिठाइयां पकाया करते थे। सूरी वैसे तो एक अच्छा लड़का था लेकिन उसकी एक बुरी आदत थी वह है फिजूलखर्ची (Extravagance)। वह अक्सर अपने पापा से पैसे मांगा करता था और उसे खाने – पीने, सिनेमा देखने और दोस्तों में खर्च कर देता था।
एक दिन सूरी ने अपने पापा से पैसे मांगे, तब उसके पापा ने उसको बोला” देखो! बेटा अब तुम बड़े हो गए हो और तुम्हें अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए।” तुम हर दिन मुझसे पैसे मांगते रहते हो और उन पैसों को इधर-उधर उड़ा देते हो,ये अच्छी बात नहीं है।
क्या पापा कौन सा मैं आप से हजारों रुपए मांग रहा हूं, चंद पैसों के लिए आप मुझे इतना लेक्चर (lecture) दे रहे हैं इतने से पैसे तो जब चाहे तब आपको लौटा सकता हूं,” सूरी नाराज होते हुए बोला।
सूरी की ऐसी बात सुनकर उसके पापा बहुत गुस्सा हो गए और वह समझ चुके थे कि इसको डांट – फटकार से कुछ समझ नहीं आएगा। इसीलिए उन्होंने कहा,” यह तो बहुत अच्छी बात है ऐसा करो तुम मुझे ज्यादा नहीं बस Rs.1 रोज ला कर दे दिया करो।

अगले दिन शाम में उसके पापा, सुरी को देखते ही बोले,” बेटा, लाओ मेरा 1 रूपया” ।

उनकी बात सुनकर जरा घबराया, उसे लगा कि पापा तो सच में पैसे मांगने लगे।

गलती का एहसास
गलती का एहसास

वह भागकर दादी के पास गया और Rs.1 लेकर लौट आया। और कहा लिजिए पापा ले आया मैं आपके एक रूपए। ऐसा बोलते हुए उसने सिक्का पिताजी के हाथ में दे दिया।

पिता जी ने सिक्का चूल्हा में फेंक दिया।

सुरी ये देख कर हैरानी से पिताजी से पूछा , आपने ऐसा क्यों किया।
पापा बोले,” मैं पैसे का कुछ भी करू, तुम सिर्फ पैसे देने में ध्यान रखो, तुम्हे सिर्फ पैसे देने से मतलब है |

सुरी बिना कुछ बोले चुपचाप चला गया।

अगले दिन जब उसके पापा ने Rs.1 मांगा तो उसने अपनी मां से पैसा मांग कर दे दिया। कई दिनों तक यही सिलसिला चलता रहा वह रोज किसी दोस्त – यार या रिश्तेदार से पैसे लेकर पिताजी को दे देता और पिताजी हमेशा की तरह उससे चूल्हे में फेंक देते हैं।

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फिर एक दिन ऐसा आया जब कोई उसे पैसे देने वाला नहीं रहा। सुरी को चिंता होने लगी थी अब वह पिताजी को ₨.1 कहां से लाकर देगा।
शाम भी होने वाली थी उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें ₨.1 भी ना देने पाने की शर्मिंदगी वह उठाना नहीं चाहता था, तभी उसे एक वृद्ध मजदूर दिखा जो किसी ट्रक से बोरियां उतार के नीचे रख रहा था।
सुनो भैया, क्या में आपकी मदद कर सकता हूं। उसके बदले में आप मुझे बस Rs.1 दे देना “, सूरी ने कहा ।
वह मजदुर बहुत थक चुका था और एक रुपए के लिए हो फौरन तैयार हो गया ।

 

problem and solution
problem and solution

सुरी बोरियां उतारने लगा ।यह काम उसने जितना सोचा था उससे कहीं कठिन था। थोड़ी बोरियां उतारने में ही उसकी हथेलियों में छाले पड़ गए और हाथ दुखने भी लगे। खैर किसी भी तरह उसने अपना काम पूरा किया और बदले में जिंदगी में पहली बार खुद से Rs.1 कमाया।
आज बड़े गर्व के साथ वह पापा के पास पहुंचा उनकी हथेली में Rs.1 थमा दिया।

रोज की तरह पिता जी ने रुपए लेते हैं उसे चूल्हे में फेकने के लिए हाथ आगे बढ़ाया। रूकिए पापा ! सूरी पिताजी का हाथ थामते हुए बोला”आप इसे नहीं फेंक सकते हैं यह मेरे मेहनत की कमाई है और उसने पूरी बात बताई।

पिताजी आगे बढ़े और बेटे को गले से लगा लिया ।

देखो, बेटा इतने दिनों से मैं सिक्के को चूल्हे में फेंक रहा हूं तुमने मुझे एक बार भी नहीं रोका, पर आज जब तुमने अपनी मेहनत की कमाई को चूल्हे में जाते हुए देखा तो एकदम घबरा गए। इसी तरह जब तुम मेरी मेहनत की कमाई को बेकार की चीजों में उड़ाते हो तो मुझे भी बहुत दर्द होता है मैं भी घबरा जाता हूं, इसीलिए पैसे की कीमत को समझो चाहे वह तुम्हारे हो या किसी और के। कभी भी उसे फिजूलखर्ची में बर्बाद मत करो।

सुरी को सारी बात समझ आ चुकी थी, उसने फौरन पिताजी से क्षमा मांगी आज वह एक रुपए की कीमत समझ चुका था। उसने मन ही मन यह सोच लिया था, कि अब वह कभी भी पैसों की बर्बादी नहीं करेगा।

Moral of this story:

हमें भी सूरी से सीख लेनी चाहिए और कभी भी कोई भी चीज जो हमारे पास पहले से है उसको व्यर्थ नहीं करना चाहिए हमेशा जो भी हमें मिला है उसका आदर करना चाहिए और जरूरी काम में उसका उपयोग करना चाहिए। क्योंकि जो भी हमें मिल रहा है उसमें हो सकता है हमारी मेहनत नहीं हूं पर किसी ना किसी की मेहनत जरूर होगी तो कभी भी किसी की मेहनत की कमाई को व्यर्थ नहीं करना चाहिए और जब हम खुद कमाने लगते हैं तब हमें मेहनत की कमाई समझ आती है।

We should also learn from Suri and never waste anything that we already have, we should always respect what we have got and use it in necessary work. Because whatever we are getting may not be our hard work, but there will definitely be some hard work, so never waste any one’s hard-earned money and when we start earning ourselves, then we understand the hard-earned money is.

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